दी केरला स्टोरी

दी केरला स्टोरी
दी केरला स्टोरी ये किसी मुस्लिम धर्म के ऊपर नहीं है, इसमें क्या सही है या क्या गलत ये हम जैसे दर्शक कभी पता नहीं लगा सकते है. पर ये फिल्म आपको सोचने पर मजबूर कर सकता है, कुछ समय पहले किसी फिल्मी हस्ती में हिम्मत नहीं थी कि वो कश्मीर का वह सच दिखा सके..जिसके कारण कश्मीर घाटी करीब करीब हिन्दू विहीन हो गयी। उतनी ही हिम्मत की जरूरत थी “‘द केरल स्टोरी”‘ को बनाने में जिसे सुदीप्तो सेन ने बखूबी कर दिखाया..! क्या इस्लाम यही है, क्या इनका शरिया क़ानून यही है. ये कहानी उस केरला की है जहां 94% साक्षरता है. पर क्या यही वास्तविकता है.

क्या कहती है कहानी
अफगानिस्तान की एक जेल में फातिमा नाम की लड़की बंद है। और उससे पूछताछ की जा रही है। उससे पूछा जाता है कि उसने ISIS कब और क्यों join की। इसके बाद वह लड़की अपनी सारी कहानी सुनाने लगती है। वास्तव में उसका असली नाम शालिनी था। वह हिन्दू लड़की थी और भारत के केरल की रहने वाली थी। उस दौरान आतंकवादी संगठन ISIS सीरिया से लेकर अफगानिस्तान तक फैल गया था। एक दिन उनका लीडर कुछ मुस्लिम लड़कों से कहता है कि लड़कियों को अपने प्रेम जाल में फँसाओ। उनका धर्म परिवर्तन करवाओ। उनसे शादी करो और उन्हें प्रेग्नेंट करो। फिर अफ़ग़ानिस्तान लाकर उन्हें ISIS में भर्ती करवा दो। फिर उन्हें भी terrorist बना दो। इसके बाद वे मुस्लिम युवक, उनके साथ एकमुस्लिम लड़की को भी भेजा जाता है ताकि वे हिंदू लड़कियों को तरह-तरह से ब्रेनवाश करें।

अगर कास्ट की बात करें
अदा शर्मा फिल्म ‘द केरल स्टोरी’ में मुख्य भूमिका निभा रही हैं। पहले शालिनी और फिर फातिमा के किरदार में उन्होंने फिल्म को एक तरह से अपने दोनों कंधों पर उठाए रखा है। केरल से ताल्लुक रखने वाली अपनी मां से मलयालम उन्हें घुट्टी में मिली ही है। वह परदे पर मलयालम बोलती भी कमाल की हैं। शालिनी की सहेलियों के किरदार में योगिता बिहानी और सिद्धि इदनानी ने भी बहुत ही असरदार अभिनय किया है। एक कम्युनिस्ट नेता की बेटी के रोल में सिद्धि अपने किरदार का पूरा ग्राफ जीती हैं और प्रेम में डूबी लड़की से लेकर अपनी अस्मिता गंवाकर होश में आई लड़की की घुटने न टेकने वाले एलान तक के दृश्यों में उनका अभिनय नोटिस करने लायक है। योगिता बिहानी के किरदार का काम फिल्म में होशियार लड़की का है लेकिन धोखे से जब उसके साथ भी सामूहिक बलात्कार होता है तो वह इस पूरे षड्यंत्र का पर्दाफाश करने का बीड़ा उठाती है। और, इस किरदार को परदे पर इसके सारे अवयवों के साथ योगिता ने बहुत ही खूबसूरती से पेश भी किया है। सोनिया बलानी यहां उस युवती के किरदार में है जिसके पास साधारण घर की युवतियों को बहला फुसला कर उन युवकों के आगोश में पहुंचाने की जिम्मेदारी है जो इनका शील भंग करके इन्हें अपने कहे रास्ते पर चलने को मजबूर कर देते हैं।

फिल्म देखे या नहीं
ये कहानी हिंदू मुस्लिम सिख या ईसाई की नहीं ये कहानी ऐसी है जो हमें बताती है की ब्रेनवास कैसे किया जाता है और ऐसे लोग हमारे आसपास ही होते है, और हम उन्हें कितना अपने ऊपर हावी होने देते है। ये कहानी देखनी है या नहीं देखनी ये आप तय कीजिए पर आतंकवाद किस तरह अपनी जड़ हमारे देश में जमा रही अगर ये देखना है तो आप जरूर जाकर देखें और खुद से पूछें कि हमारी संस्कृति हमसे कितनी जुड़ी हुई है। फिल्म ‘द केरल स्टोरी’ को अगर निष्पक्ष भाव से देखा जाए तो ये एक प्रोमेगैंडा फिल्म बिल्कुल नहीं नजर आती।