देवों की भूमि- हिमाचल प्रदेश

लेखक - प्रतिभा अग्निहोत्री
मेरा प्यारा हिमाचल प्रदेश, जिसे देवभूमि के नाम से भी जाना जाता है, भारत के उत्तरी हिस्से में स्थित एक सुंदर राज्य है। यह राज्य अपनी शानदार प्रकृति, हिमालय के बर्फीले पर्वतों, पानी के झरनों, सुंदर वादियों और आकर्षक पर्वतीय स्थलों के लिए जाना जाता है। यहाँ कुछ ऐसी जगहें हैं जो आपको नहीं भूलने देंगी और जहाँ आपका मन शांत होता है और आप अपने जीवन का सबसे अच्छा समय बिता सकते हैं।देवभूमि हिमाचल का महत्वपूर्ण भाग है और वहां के लोग इसे धार्मिक एवं पौधा-प्रेमी तीर्थस्थल के रूप में जानते हैं।

देवभूमि हिमाचल में विभिन्न धार्मिक स्थल हैं जैसे की माता ज्वालाजी मंदिर, चामुंडा माता मंदिर, ब्रजेश्वरी मंदिर, वैष्णो देवी मंदिर, बाबा बालक नाथ मंदिर और बहुत से अन्य मंदिर और धार्मिक स्थल हैं। इन स्थलों पर सभी धर्मों के लोग आते हैं और वहां की शानदार प्रकृति और आध्यात्मिक वातावरण से लुभाए जाते हैं।यहां के चप्पे-चप्पे में स्थापित प्राचीन मंदिर व यहां की धार्मिक परम्पराएं हमेशा ही लोगों को अपनी ओर आकर्षित करती हैं। देवभूमि हिमाचल में पांच प्रसिद्ध शक्ति पीठ हैं। जहां हर साल लाखों श्रद्धालु मां के दर्शनों के लिए आते हैं। नवरात्र के दौरान यहां श्रद्धालुओं की खूब भीड़ रहती है। मां चामुंडा देवी, चिंतापूर्णी देवी, मां बज्रेश्वरी देवी, मां नयना देवी व मां ज्वालाजी के मंदिर काफी प्रसिद्ध हैं। इन मंदिरों में भक्तों की हर मुराद पूरी होती है।कांगड़ा का बज्रेश्वरी देवी शक्तिपीठ मां का एक ऐसा धाम है जहां पहुंच कर भक्तों का हर दुख तकलीफ मां की एक झलकभर देखने से दूर हो जाती है। 51 शक्तिपीठों में से यह मां का वह शक्तिपीठ है जहां सती का दाहिना वक्ष गिरा था। नयना देवी माता का मंदिर हिमाचल प्रदेश के जिला बिलासपुर में स्थित है। इस स्थान पर माता सती के दोनों नेत्र गिरे थे।श्रावण मास की अष्टमी व नवरात्र में यहां विशाल मेला लगता है। लाखों भक्त यहां आकर मां के दर्शन करते हैं व अपनी मनोकामना पूर्ण करते हैं|

चिंतपूर्णी धाम हिमाचल प्रदेश के जिला ऊना में स्थित है। यह स्थान 51 शक्ति पीठों में से एक है। यहां पर माता सती के चरण गिर थे। चिंतपूर्णी माता अर्थात चिंता को पूर्ण करने वाली देवी चिंतपूर्णी देवी का यह मंदिर काफी प्राचीन है। भक्तों में माता चरणों का स्पर्श करने को लेकर अगाध श्रद्धा है।
चामुंडा देवी मंदिर भी हिमाचल प्रदेश के जिला कांगड़ा में स्थित है। पालमपुर के पश्चिम और धर्मशाला से महज 15 किलोमीटर की दूरी पर बनेर नदी के किनारे स्थित यह मंदिर 700 साल पुराना है।माता का नाम चामुंडा पडऩे के पीछे एक कथा प्रचलित है कि मां ने यहां चंड और मुंड नामक दो असुरों का संहार किया था। उन दोनों असुरो को मारने के कारण माता का नाम चामुंडा देवी पड़ गया।

ज्वालाजी हिमाचल प्रदेश की एक अन्य महत्वपूर्ण देवी हैं। वे हिंदू देवी ज्वालामुखी के रूप में जानी जाती हैं, जिनका मंदिर हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले में स्थित है। ज्वालाजी देवी अग्नि की देवी मानी जाती हैं और उन्हें शक्ति के रूप में पूजा जाता है। हिमाचल प्रदेश का एक और धार्मिक स्थल है धर्मशाला, जहां दलाई लामा अपने आध्यात्मिक और धार्मिक उपदेश देते हैं। यहां लोग धर्मिक उत्सव, पूजा, और ध्यान के लिए आते हैं।

इस रंग-बिरंगे प्राकृतिक सौंदर्य से भरे राज्य में एक जीवंत विरासत है जो समृद्ध धार्मिक और सांस्कृतिक विरासतों से भरपूर है। जहाँ शांति और स्वास्थ्य के साथ-साथ प्रकृति के साथ अपना समय बिताना एक अनुभव होता है। हिमाचल प्रदेश, भारत के उत्तरी हिस्से में एक आदर्श पर्यटन स्थल है, जो आपको अपने अनुभव से यादगार पलों से भर देगा।



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