इंडियन प्रीमियर लीग में युवा भारतीय खिलाड़ियों और खुद लीग का दबदबा कायम?
संकल्प गुप्ता
IPL या इंडियन प्रीमियर लीग को वैसे तो हर साल, नए और युवा भारतियों को मौका देने और उनकी प्रतिभा को तराश कर दुनिया के सामने रखने के लिए मंच प्रदान करता है|
पर इस बात में भी कोई शक नहीं है कि, इस लीग को मशहूर बनाने का जितना श्रेय इसके कॉनसेप्ट को जाता है, उतना ही इसमें भाग लेने वाले विदेशी खिलाड़ियों को भी, क्योंकि कई फ्रेंचाइजीज़ तो अपने विदेशी खिलाड़ियों की वजह से ही IPL में प्रचिलित रहीं हैं|
क्या विदेशी खिलाड़ियों की लोकप्रियता के चलते लोगों की नहीं जाती युवाओं पर नज़र
यह सवाल IPL देखने वाले हर शख्स के मन में हर बार उठता है, जब वह भारत की क्रिकेट लीग में, फ्रैंचाइज़ीज़ को एक विदेशी खिलाड़ी पर करोड़ों रुपये की लगाता देखता है, तब हर क्रिकेट प्रेमी के मन में यह सवाल जरूर आता है कि:-
जब लीग भारतियों की है, तो विदेशी खिलाड़ियों पर इतना पैसा क्यों लगाया जाता है?
इस सवाल का जवाब सीधा और सरल है, यह सभी फ्रैंचाइज़ीज कभी भी हर-एक विदेशी खिलाड़ी को नहीं खरीदती, वह सिर्फ उन खिलाड़ियों पर पैसा लगाती हैं, जो उस समय फॉर्म में चल रहे होते हैं, ताकि विदेशी खिलाड़ी के रूप में उन्हें फायदा मिल सके|
रही बात भारतीय खिलाड़ियों की कम लोकप्रियता की, तो इन् सभी चीज़ों में एक बात याद राखी जानी चाहिए की यह वही IPL है, जिसने मौजूदा समय की भारतीय टीम के युवा खिलाड़ी जैसे:- ह्रुतुराज गाईक्वाड, सूर्यकुमार यादव, दीपक हूडा, संजू सैमसन और तमाम ऐसे खिलाड़ी दिए हैं|
IPL के दौरान युवा प्रतिभाओं पर भी जाती है नज़र
अगर बात है, एक IPL सीज़न के दौरान भारतीय खिलाड़ियों पर नज़र जाने की तो यह पूरे तरीके से खिलाड़ियों के प्रदर्शन पर निर्भर करता है, जो अच्छा खेल गया, उसका नाम बन जाता है, और जो नहीं खेल पाया, वह रह जाता है|
यह वैसे तो कई बार किस्मत का, पर हर बार मेहनत का खेल होता है|
और इसका उदाहरण देने के लिए ज्यादा पीछे क्यूँ जाना, कल ही के दिन उत्तर प्रदेश के त्रेहने वाले खिलाडी रिंकू सिंह ने गुजरात के खिलाफ सितारों से सजी कोलकाता के लिए एक असंभव से मैच को जीताकर, सबका ध्यान अपनी ओर खींचा|
तो वहीँ पिछले साल लखनऊ की टीम से खेलते हुए, दो खिलाड़ियों आयुष बड़ोनी और मोहसिन खान ने टीम में बड़े विदेशी खिलाड़ियों के मौजूद होने के बावजूद भी अपने प्रदर्शन के दम पर अपना नाम बनाया|
लीग तो सही है, हमें अपना नज़रिया बदलने की ज़रुरत
कई बार अलग-अलग मीडिया और लीग से जुड़े पुराने कुछ विवादों के आधार पर बाज़ार में उड़ी ख़बरों की वजह से लीग को अपने घरों से देख रहे दर्शक, इसके बारे में एक अलग धारणा बना लेते हैं जैसे कि:-
यह सब पैसों के लिए होता है|
सब फिक्स है|
तो ऐसे लोगों के लिए मैं यह कहना चाहूंगा कि, यह और कुछ नहीं बस कुछ टीम्स के फैनबेस और इस लीग की कामयाबी से नफरत करने वाले लोगों द्वारा चलाया जा रहा एक एजेंडा है, वह इस लीग से भारत को हो रहे फायदे को नहीं देख पा रहे हैं, तो आप लोग जागरूक बने और इसे समर्थन दें ताकि भारतीय क्रिकेट का भविष्य और भी सुनहरा बन सके|
पर इस बात में भी कोई शक नहीं है कि, इस लीग को मशहूर बनाने का जितना श्रेय इसके कॉनसेप्ट को जाता है, उतना ही इसमें भाग लेने वाले विदेशी खिलाड़ियों को भी, क्योंकि कई फ्रेंचाइजीज़ तो अपने विदेशी खिलाड़ियों की वजह से ही IPL में प्रचिलित रहीं हैं|
क्या विदेशी खिलाड़ियों की लोकप्रियता के चलते लोगों की नहीं जाती युवाओं पर नज़र
यह सवाल IPL देखने वाले हर शख्स के मन में हर बार उठता है, जब वह भारत की क्रिकेट लीग में, फ्रैंचाइज़ीज़ को एक विदेशी खिलाड़ी पर करोड़ों रुपये की लगाता देखता है, तब हर क्रिकेट प्रेमी के मन में यह सवाल जरूर आता है कि:-
जब लीग भारतियों की है, तो विदेशी खिलाड़ियों पर इतना पैसा क्यों लगाया जाता है?
इस सवाल का जवाब सीधा और सरल है, यह सभी फ्रैंचाइज़ीज कभी भी हर-एक विदेशी खिलाड़ी को नहीं खरीदती, वह सिर्फ उन खिलाड़ियों पर पैसा लगाती हैं, जो उस समय फॉर्म में चल रहे होते हैं, ताकि विदेशी खिलाड़ी के रूप में उन्हें फायदा मिल सके|
रही बात भारतीय खिलाड़ियों की कम लोकप्रियता की, तो इन् सभी चीज़ों में एक बात याद राखी जानी चाहिए की यह वही IPL है, जिसने मौजूदा समय की भारतीय टीम के युवा खिलाड़ी जैसे:- ह्रुतुराज गाईक्वाड, सूर्यकुमार यादव, दीपक हूडा, संजू सैमसन और तमाम ऐसे खिलाड़ी दिए हैं|
IPL के दौरान युवा प्रतिभाओं पर भी जाती है नज़र
अगर बात है, एक IPL सीज़न के दौरान भारतीय खिलाड़ियों पर नज़र जाने की तो यह पूरे तरीके से खिलाड़ियों के प्रदर्शन पर निर्भर करता है, जो अच्छा खेल गया, उसका नाम बन जाता है, और जो नहीं खेल पाया, वह रह जाता है|
यह वैसे तो कई बार किस्मत का, पर हर बार मेहनत का खेल होता है|
और इसका उदाहरण देने के लिए ज्यादा पीछे क्यूँ जाना, कल ही के दिन उत्तर प्रदेश के त्रेहने वाले खिलाडी रिंकू सिंह ने गुजरात के खिलाफ सितारों से सजी कोलकाता के लिए एक असंभव से मैच को जीताकर, सबका ध्यान अपनी ओर खींचा|
तो वहीँ पिछले साल लखनऊ की टीम से खेलते हुए, दो खिलाड़ियों आयुष बड़ोनी और मोहसिन खान ने टीम में बड़े विदेशी खिलाड़ियों के मौजूद होने के बावजूद भी अपने प्रदर्शन के दम पर अपना नाम बनाया|
लीग तो सही है, हमें अपना नज़रिया बदलने की ज़रुरत
कई बार अलग-अलग मीडिया और लीग से जुड़े पुराने कुछ विवादों के आधार पर बाज़ार में उड़ी ख़बरों की वजह से लीग को अपने घरों से देख रहे दर्शक, इसके बारे में एक अलग धारणा बना लेते हैं जैसे कि:-
यह सब पैसों के लिए होता है|
सब फिक्स है|
तो ऐसे लोगों के लिए मैं यह कहना चाहूंगा कि, यह और कुछ नहीं बस कुछ टीम्स के फैनबेस और इस लीग की कामयाबी से नफरत करने वाले लोगों द्वारा चलाया जा रहा एक एजेंडा है, वह इस लीग से भारत को हो रहे फायदे को नहीं देख पा रहे हैं, तो आप लोग जागरूक बने और इसे समर्थन दें ताकि भारतीय क्रिकेट का भविष्य और भी सुनहरा बन सके|
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