प्लास्टिक के उपयोग को कम करने के लिए बैंबू टूथब्रशेस एक बेहतर उपाय है
'इनैक्टस' की वह टीम जो प्रोजेक्ट 'की' के माध्यम से बैंबू टूथब्रशेस को देशभर में प्राथमिकता दिला रही है।
लेखक - नैवेद्य पुरोहित
क्या आपने कभी सोचा है जिस प्लास्टिक के टूथब्रश से आप अपने दांत रोज सुबह साफ करते हैं वह पर्यावरण और आपकी सेहत के लिए कितना खतरनाक है ! जी हां यह सुनकर आप एक बार आश्चर्य जरूर करेंगे पर वास्तव में प्लास्टिक से बने जिन बड़ी मल्टीनेशनल कंपनियों के टूथब्रूशेस का आप इस्तेमाल कर रहे हैं वो हमारे पर्यावरण और अपनी सेहत के लिए काफी ज्यादा नुकसानदायक साबित हो सकते हैं। यहां तक कि बाजार में जो सस्ते टूथब्रश मिलते है वो ज्यादा घटिया क्वालिटी के प्लास्टिक से बनाए जाते हैं।
इन प्लास्टिक ब्रश के विकल्प में बेनेट यूनिवर्सिटी में विद्यार्थियों के स्टार्टअप्स को बढ़ावा देने वाले संगठन 'इनैक्टस' एक नया प्रोजेक्ट लाया है 'की'। 'की' एक जापानी शब्द है जिसका अर्थ पेड़ , पौधा या लकड़ी है। इस प्रोजेक्ट 'की' के डायरेक्टर बेनेट यूनिवर्सिटी के बीटेक सेकेंड ईयर के छात्र अवधान त्यागी है। उनसे जब इस मामले को लेकर चर्चा हुई तो उनका कहना है , "हमारा उद्देश्य सिर्फ इतना है कि देश में बैंबू ब्रशेस को प्राथमिकता मिले ऐसा नहीं है कि हमारे देश में बैंबू के ब्रशेस का इस्तेमाल नहीं किया जाता है पर आज जहां भी बैंबू ब्रशेस हैं वह कहीं छुपे हुए हैं ज्यादा लाइमलाइट में नहीं आते हैं और जो बैंबू ब्रश हमारे देश में मौजूद है वह काफी महंगे हैं।" "हमारा प्रोडक्ट बाजार में जो मौजूद बैंबू ब्रश है उससे एक तिहाई भाव पर मिलता है। बैंबू ब्रश बनाने वाली कंपनियां अपना प्रॉफिट मार्जिन ज्यादा रखती है चूंकि इनैक्टस एक गैर लाभकारी संगठन है इसलिए हमारा प्रॉफिट मार्जिन बाज़ार मूल्य के मुकाबले एक तिहाई है और वह मुनाफा किसी एक व्यक्ति की जेब में ना जाते हुए अन्य सामाजिक कल्याण की गतिविधियों में जाता हैं।"
वास्तव में जब मैंने इस बात की सच्चाई जाननी चाही तो यह बात सच निकली बैंबू ब्रश की कीमत 100-150 रूपये से चालू होती है। लेकिन 'की' सिर्फ़ 49 रुपए का है। बांस पृथ्वी पर सबसे तेजी से बढ़नी वाली घास है। इस वजह से वनों की ज्यादा कटाई भी नहीं करना पड़ती है। 'की' ब्रश की पैकेजिंग भी पर्यावरण को ध्यान में रखते हुए की गई है पैकेजिंग से लेकर ब्रश के बेस तक सबकुछ 100 प्रतिशत बायोडिग्रेडेबल है। यहां तक कि इस ब्रश के जो हेयर है वह भी चारकोल इन्फ्यूज मटेरियल से बनाए गए हैं जिससे कि चारकोल की व्हाइटनिंग प्रॉपर्टीज और बैंबू की एंटी बैक्टिरियल प्रॉपर्टीज मिलके काम कर पाएं। दिल्ली हाट के वो कलाकार जो बैंबू से तरह-तरह की चीजें बनाते हैं इनैक्टस ने उन कलाकारों को सामान से लेकर हर सुविधा मुहैया करवाई है ताकि वे आसानी से बिना रुकावट के काम कर पाएं। कुछ टूथब्रश उपयोग के दौरान छोटे माइक्रोप्लास्टिक कणों को बहा सकते हैं जिसके कारण हम जिस हवा में सांस लेते हैं उसमें माइक्रोप्लास्टिक प्रदूषण बढ़ता हैं। माइक्रोप्लास्टिक्स को कई सारे हानिकारक प्रभावों के साथ-साथ संभावित मानव स्वास्थ्य प्रभावों के लिए भी जाना जाता है। इसके अलावा कई टूथब्रशेस में हानिकारक रसायन होते है जैसे कि थैलेट्स और बिस्फेनॉल ए (बीपीए) जो स्वास्थ्य जोखिमों के लिए जाने जाते हैं। ये रसायन प्लास्टिक से निकलते है और स्वास्थ्य संबंधी चिंताएँ पैदा कर सकते हैं।
उल्लेखनीय है कि बेनेट यूनिवर्सिटी का यह संगठन 'इनैक्टस' पूर्व में भी इस तरह के उद्यमशीलता को बढ़ावा देने वाले कई प्रोजेक्ट ला चुका है जो सामाजिक कल्याण को ध्यान में रखते हुए पर्यावरण को बिना हानि पहुंचाए अपने लक्ष्यों को सफलतापूर्वक हासिल करता है। अंत में बस इतना ही कहना चाहूंगा कि अगली बार जब आप अपने लिए या अपने परिवार के लिए प्लास्टिक टूथब्रश खरीदें तो इस बात पर ज़रूर विचार करें कि आप उनके स्वास्थ्य से कितना खिलवाड़ कर रहे है और उन्हें व स्वयं को खतरों के संपर्क में ला रहे हैं। अपने परिवार और इस पृथ्वी के बेहतर भविष्य के लिए समझदारी से चुनाव करें। बांस के टूथब्रश जैसे सही और टिकाऊ विकल्प चुनें। याद रखें आपका एक छोटा सा प्रयास भी एक बहुत बड़ा बदलाव लाने के लिए सक्षम हैं !
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