बजट के पिटारे से शिक्षा को क्या मिला?
-इशिका बुब्ना
वित्त मंत्रीनिर्मला सीतारमण के तीसरे बजट पर मिली-जुली रही बेनेट के छात्रों की प्रतिक्रिया
कोरोना वायरस से पैदा महामारी कोविड-19 के दौर में जो सेक्टर सबसे ज्यादा प्रभावित हुए हैं, शिक्षा उनमें से एक है। इस दौरान ज्यादातर स्कूल-कॉलेज बंद रहे, मजबूरी में ऑनलाइन पढ़ाई और परीक्षा के इंतजाम करने पड़े। कई दूसरी समस्याएं भी थीं। ऐसे में उम्मीद थी कि मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल में तीसरी बार आम बजट (2021-22) पेश कर रही वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण एजूकेशन सेक्टर के लिए कई बड़ी घोषणाएं करेंगी। ऐसा हुआ भी। देश में करीब 100 नए सैनिक स्कूल खोलने, लेह में केंद्रीय यूनिवर्सिटी बनाने और जल्द ही उच्च शिक्षा आयोग का गठन करने समेत कई अन्य बड़ी घोषणाएं कर वित्त मंत्री ने शिक्षा पर सरकार का सकारात्मक नजरिया सामने रखा है। लेकिन क्या ये उपाय काफी हैं? क्या इतने भर से हमारे देश के एजूकेशन सेक्टर का वास्तव में कल्याण हो जाएगा? शिक्षा क्षेत्र से जुड़े ये सवाल काफी अहम हैं, जिन पर बेनेट यूनिवर्सिटी में अध्ययनरत छात्रों ने अपनी बेबाक राय दी है।
चुनौतियां भरपूर, लेकिन नजरिया साफ
बेनेट यूनिवर्सिटी की बीएजेएमसी (हिंदी) के द्वितीय वर्ष की छात्रा नित्या आहूजा की नजर में यह बजट देश के एजूकेशन सेक्टर को काफी राहतें देने वाला साबित हो सकता है। नित्या कहती हैं, “हमें यह ध्यान रखना होगा कि कोविड-19 महामारी ने शिक्षा क्षेत्र को काफी ज्यादा नुकसान पहुंचाया है। खास तौर से ऑनलाइन पढ़ाई और परीक्षा की जो चुनौतियां पैदा हुई हैं, उनसे निपटना आसान नहीं हैं। लेकिन मुझे लगता है कि इस बजट में की गई घोषणाओं के माध्यम से सरकार ने नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति पर अमल से लेकर कई चीजों पर अपना नजरिया साफ कर दिया है। मेरा मानना है कि इस बजट में किए गए उपायों से शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार आएगा और इसका फायदा विद्यार्थियों और अध्यापकों समेत पूरे शिक्षा क्षेत्र को मिल सकेगा।”
गौरतलब है कि इस बार बजट में शिक्षा से संबंधित एक नए मिशन राष्ट्रीय भाषा अनुवाद मिशन की शुरुआत भी की गई है। वित्त मंत्री सीतारमण के मुताबिक इस मिशन का काम सरकारी दस्तावेजों को प्रमुख भारतीय भाषाओं में अनुवाद कर पब्लिक प्लेटफॉर्म पर लाना होगा। बेनेट यूनिवर्सिटी में लॉ (चौथे वर्ष) के छात्र हर्षित जैन इस बारे में कहते हैं, “इस बजट की सबसे उल्लेखनीय उपलब्धि राष्ट्रीय भाषा अनुवाद मिशन की घोषणा किया जाना है। मुझे पूरी उम्मीद है कि इस मिशन से नई नौकरियां पैदा होंगी और इससे देश का भाषाई विकास भी होगा।”
निराश करती है बजट में कटौती
हालांकि शिक्षा पर बजट के प्रावधानों को लेकर बेनेट यूनिवर्सिटी में बीएजेएसी (हिंदी) द्वितीय वर्ष के छात्र प्रखर श्रीवास्तव की राय थोड़ी अलग है। पिछले साल के मुकाबले शिक्षा के बजट में हुई कटौती को रेखांकित करते हुए प्रखर कहते हैं, “पिछले साल अचानक देशभर में लगे लॉकडाउन के बीच ऑनलाइन क्लासेज से लेकर ऑनलाइन एग्जाम लगभग हर स्कूल और कॉलेज में कराए जाने लगे थे। ऐसे मेंशिक्षा बजट को लेकर यह आस लगाई जा रही थी कि सरकार कुछ ऐसी योजनाएं लाएगी जिससे महामारी के दौर में भी शिक्षा को और मजबूत किया जा सके। मगर इस साल के बजट में शिक्षा के लिए कुछ खास देखने को नहीं मिला। पिछले वित्त वर्ष 2020-21 की तुलना में शिक्षा क्षेत्र के बजट में 6.1 प्रतिशत की कटौती निराश करने वाली है।”
बेशक, इस बार बजट में शिक्षा पर ज्यादा पैसा खर्च नहीं किया गाया, परंतु शेयर बाजार इस बजट से खुश नज़र आया। इसकी वजह से बजट वाले दिन और इसके अगले दिन भी स्टॉक मार्केट में काफी तेजी देखने को मिली।
-यह रिपोर्ट बेनेट यूनिवर्सिटी, बीए (जर्नलिज़्म एंड मास कम्युनिकेशन-हिंदी) में द्वितीय वर्ष की छात्रा इशिका बुब्ना ने लिखी है
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वित्त मंत्री
कोरोना वायरस से पैदा महामारी कोविड-19 के दौर में जो सेक्टर सबसे ज्यादा प्रभावित हुए हैं, शिक्षा उनमें से एक है। इस दौरान ज्यादातर स्कूल-कॉलेज बंद रहे, मजबूरी में ऑनलाइन पढ़ाई और परीक्षा के इंतजाम करने पड़े। कई दूसरी समस्याएं भी थीं। ऐसे में उम्मीद थी कि मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल में तीसरी बार आम बजट (2021-22) पेश कर रही वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण एजूकेशन सेक्टर के लिए कई बड़ी घोषणाएं करेंगी। ऐसा हुआ भी। देश में करीब 100 नए सैनिक स्कूल खोलने, लेह में केंद्रीय यूनिवर्सिटी बनाने और जल्द ही उच्च शिक्षा आयोग का गठन करने समेत कई अन्य बड़ी घोषणाएं कर वित्त मंत्री ने शिक्षा पर सरकार का सकारात्मक नजरिया सामने रखा है। लेकिन क्या ये उपाय काफी हैं? क्या इतने भर से हमारे देश के एजूकेशन सेक्टर का वास्तव में कल्याण हो जाएगा? शिक्षा क्षेत्र से जुड़े ये सवाल काफी अहम हैं, जिन पर बेनेट यूनिवर्सिटी में अध्ययनरत छात्रों ने अपनी बेबाक राय दी है।
चुनौतियां भरपूर, लेकिन नजरिया साफ
बेनेट यूनिवर्सिटी की बीएजेएमसी (हिंदी) के द्वितीय वर्ष की छात्रा नित्या आहूजा की नजर में यह बजट देश के एजूकेशन सेक्टर को काफी राहतें देने वाला साबित हो सकता है। नित्या कहती हैं, “हमें यह ध्यान रखना होगा कि कोविड-19 महामारी ने शिक्षा क्षेत्र को काफी ज्यादा नुकसान पहुंचाया है। खास तौर से ऑनलाइन पढ़ाई और परीक्षा की जो चुनौतियां पैदा हुई हैं, उनसे निपटना आसान नहीं हैं। लेकिन मुझे लगता है कि इस बजट में की गई घोषणाओं के माध्यम से सरकार ने नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति पर अमल से लेकर कई चीजों पर अपना नजरिया साफ कर दिया है। मेरा मानना है कि इस बजट में किए गए उपायों से शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार आएगा और इसका फायदा विद्यार्थियों और अध्यापकों समेत पूरे शिक्षा क्षेत्र को मिल सकेगा।”
गौरतलब है कि इस बार बजट में शिक्षा से संबंधित एक नए मिशन राष्ट्रीय भाषा अनुवाद मिशन की शुरुआत भी की गई है। वित्त मंत्री सीतारमण के मुताबिक इस मिशन का काम सरकारी दस्तावेजों को प्रमुख भारतीय भाषाओं में अनुवाद कर पब्लिक प्लेटफॉर्म पर लाना होगा। बेनेट यूनिवर्सिटी में लॉ (चौथे वर्ष) के छात्र हर्षित जैन इस बारे में कहते हैं, “इस बजट की सबसे उल्लेखनीय उपलब्धि राष्ट्रीय भाषा अनुवाद मिशन की घोषणा किया जाना है। मुझे पूरी उम्मीद है कि इस मिशन से नई नौकरियां पैदा होंगी और इससे देश का भाषाई विकास भी होगा।”
निराश करती है बजट में कटौती
हालांकि शिक्षा पर बजट के प्रावधानों को लेकर बेनेट यूनिवर्सिटी में बीएजेएसी (हिंदी) द्वितीय वर्ष के छात्र प्रखर श्रीवास्तव की राय थोड़ी अलग है। पिछले साल के मुकाबले शिक्षा के बजट में हुई कटौती को रेखांकित करते हुए प्रखर कहते हैं, “पिछले साल अचानक देशभर में लगे लॉकडाउन के बीच ऑनलाइन क्लासेज से लेकर ऑनलाइन एग्जाम लगभग हर स्कूल और कॉलेज में कराए जाने लगे थे। ऐसे में
बेशक, इस बार बजट में शिक्षा पर ज्यादा पैसा खर्च नहीं किया गाया, परंतु शेयर बाजार इस बजट से खुश नज़र आया। इसकी वजह से बजट वाले दिन और इसके अगले दिन भी स्टॉक मार्केट में काफी तेजी देखने को मिली।
-यह रिपोर्ट बेनेट यूनिवर्सिटी, बीए (जर्नलिज़्म एंड मास कम्युनिकेशन-हिंदी) में द्वितीय वर्ष की छात्रा इशिका बुब्ना ने लिखी है
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