खेलों में अब लड़कियों के लिए ज्यादा मौके- अमिता

खेलों में अब लड़कियों के लिए ज्यादा मौके- अमिता
बेनेट स्पोर्टस ने लिया अमिता शर्मा का इंटरव्यूह
-माधव शर्मा
क्रिकेट भारत में एक बेहद लोकप्रिय खेल है लेकिन जब भी हम क्रिकेट की बात करते है तो हमें धोनी, सचिन और विराट ही याद आते हैं। सवाल है कि आखिर क्यों हमारे देश में महिला क्रिकेट की चर्चा नहीं होती। यही नहीं, महिला क्रिकेटरों को किसी भी मंच पर कोई अहमियत भी नहीं दी जाती है। ऐसे ही कुछ सवालों का जवाब खोजने के लिए शनिवार को बेनेट के स्पोर्ट्स डिपार्टमेंट की एक सदस्य अवनि ने भारतीय महिला क्रिकेट टीम की पूर्व खिलाड़ी अमिता शर्मा से बातचीत की। इस बातचीत में अमिता ने अपने खेल-जीवन से जुड़े कई पहलुओं पर रोशनी डाली। यहां पेश हैं उस बातचीत के कुछ अहम अंशः

एक आम वॉलीबॉल प्लेयर से भारत के लिए क्रिकेट विश्व कप खेलने तक का आपका सफ़र कैसा रहा?

वैसे तो खेलों के प्रति मेरा झुकाव बचपन से ही रहा है। लेकिन शुरुआत में मेरा प्यार वॉलीबॉलथा। सच कहूं तो आज भी क्रिकेट के अलावा अगर किसी और खेल में मेरी दिलचस्पी है, तो वह वॉलीबॉलही है। बल्कि मैं तोवॉलीबॉलको क्रिकेट से ऊपर ही रखती हूं। मैं बचपन से ही एक वॉलीबॉलप्लेयर बनना चाहती थी लेकिन मेरी लंबाई कम रह गई। ऐसे में मैंने क्रिकेट को एक वैकल्पिक करियर के तौर पर चुन लिया। हालांकि क्रिकेट को लेकर दूसरे लोगों की तरह मेरे मन में भी हमेशा यह सवाल कायम रहा है कि क्या महिलाएं भी क्रिकेट खेल सकती हैं। बल्कि एक बार दिल्ली के नेशनल स्टेडियम में प्रैक्टिस के दौरान मैंने महिला क्रिकेट टीम की कोच सुमिता जी से यह अटपटा सवाल पूछ ही लिया था कि क्या महिलाएं भी क्रिकेट खेलतीं । इस पर उन्होंने बड़ा ही शानदार जवाब दिया था। उन्होंने कहा था किमहिलाएं क्रिकेट खेलती हैं तभी तो मैं उनकी कोच हूँ। इसके बाद से ही मेरा ध्यान क्रिकेट की ओर आकर्षित होने लगा।

यूं आजकल कई खेलों में लड़कियां आगे आ रही हैं, पर क्या आपको लगता है कि लड़कियों के लिए खेलना आसान हो गया है?

कई चीजें हमारे देश में बदली हैं। लड़कियों के लिए भी माहौल में काफी सुधार हुआ है। अपनी बात करूं तो देश के क्रिकेट खेलना मेरे लिए बहुत गर्व की बात है, लेकिन क्रिकेट का मेरा सफर काफ़ी उतार-चढ़ाव भरा रहा। बेशक, हालात पहले के मुकाबले बेहतर हुए हैं, पर आज भी यह बात सच है कि लड़कियों के लिए किसी भी खेल को एक करियर की तरह देखना काफी कठिन होता है। लड़कियों को कई तरह की पाबंदियों और जिम्मेदारियों का सामना करना पड़ता है। हां यह जरूर है कि पहले की तुलना में आज लड़कियों को खेलों में ज्यादा मौके मिल रहे हैं। लेकिन जब मैंने खेलों में अपना करियर शुरू किया था, तो उस दौर में लड़कियों के लिए खेल की राह काफी कठिनाई भरी होती थी।

देश के लिए क्रिकेट विश्व कप खेलने का सपना कब और कैसे हुआ पूरा?

यह आज से 21 साल पहले की बात है। वर्ष 2000 में मुझे क्रिकेट कोच सुमिता जी के साथ विश्व कप खेलने जा रही महिला टीम के साथ एक प्रैक्टिस मैच खेलने का मौका मिला था। इस मैच के बाद मेरे मन में भी देश के लिए विश्व कप खेलने की इच्छा हुई। मेरा यह सपना उसके पांच साल बाद तब पूरा हुआ, जब 2005 में साउथ अफ्रीका में आयोजित विश्व कप खेलने जारी महिला क्रिकेट टीम में मुझे टीम चुन गया। उस विश्व कप में मैं दूसरी सबसे ज्यादा विकेट लेने वाली खिलाड़ी भी बनी थी। यह मेरे लिए बहुत बड़े गौरव की बात थी।
भारत के लिए 116 एक दिवसीय, 41 टी-20 और पाँच टेस्ट मैच खेलकर अमिता शर्मा ने यह साबित कर दिया कि एक लड़की हज़ार पाबंदियों और समाज के तानों के बावजूद अपने सपने पूरे करने के साथ-साथ देश का नाम भी पूरी दुनिया में रोशन कर सकती है। अमिता शर्मा यकीनन कई युवा खिलाड़ियो के लिए एक प्रेरणास्रोत हैं।क्रिकेट भारत में एक बेहद लोकप्रिय खेल है लेकिन जब भी हम क्रिकेट की बात करते है तो हमें धोनी, सचिन और विराट ही याद आते हैं। सवाल है कि आखिर क्यों हमारे देश में महिला क्रिकेट की चर्चा नहीं होती। यही नहीं, महिला क्रिकेटरों को किसी भी मंच पर कोई अहमियत भी नहीं दी जाती है। ऐसे ही कुछ सवालों का जवाब खोजने के लिए शनिवार को बेनेट के स्पोर्ट्स डिपार्टमेंट की एक सदस्य अवनि ने भारतीय महिला क्रिकेट टीम की पूर्व खिलाड़ी अमिता शर्मा से बातचीत की। इस बातचीत में अमिता ने अपने खेल-जीवन से जुड़े कई पहलुओं पर रोशनी डाली। यहां पेश हैं उस बातचीत के कुछ अहम अंशः

एक आम वॉलीबॉल प्लेयर से भारत के लिए क्रिकेट विश्व कप खेलने तक का आपका सफ़र कैसा रहा?

वैसे तो खेलों के प्रति मेरा झुकाव बचपन से ही रहा है। लेकिन शुरुआत में मेरा प्यार वॉलीबॉलथा। सच कहूं तो आज भी क्रिकेट के अलावा अगर किसी और खेल में मेरी दिलचस्पी है, तो वह वॉलीबॉलही है। बल्कि मैं तोवॉलीबॉलको क्रिकेट से ऊपर ही रखती हूं। मैं बचपन से ही एक वॉलीबॉलप्लेयर बनना चाहती थी लेकिन मेरी लंबाई कम रह गई। ऐसे में मैंने क्रिकेट को एक वैकल्पिक करियर के तौर पर चुन लिया। हालांकि क्रिकेट को लेकर दूसरे लोगों की तरह मेरे मन में भी हमेशा यह सवाल कायम रहा है कि क्या महिलाएं भी क्रिकेट खेल सकती हैं। बल्कि एक बार दिल्ली के नेशनल स्टेडियम में प्रैक्टिस के दौरान मैंने महिला क्रिकेट टीम की कोच सुमिता जी से यह अटपटा सवाल पूछ ही लिया था कि क्या महिलाएं भी क्रिकेट खेलतीं । इस पर उन्होंने बड़ा ही शानदार जवाब दिया था। उन्होंने कहा था किमहिलाएं क्रिकेट खेलती हैं तभी तो मैं उनकी कोच हूँ। इसके बाद से ही मेरा ध्यान क्रिकेट की ओर आकर्षित होने लगा।

यूं आजकल कई खेलों में लड़कियां आगे आ रही हैं, पर क्या आपको लगता है कि लड़कियों के लिए खेलना आसान हो गया है?

कई चीजें हमारे देश में बदली हैं। लड़कियों के लिए भी माहौल में काफी सुधार हुआ है। अपनी बात करूं तो देश के क्रिकेट खेलना मेरे लिए बहुत गर्व की बात है, लेकिन क्रिकेट का मेरा सफर काफ़ी उतार-चढ़ाव भरा रहा। बेशक, हालात पहले के मुकाबले बेहतर हुए हैं, पर आज भी यह बात सच है कि लड़कियों के लिए किसी भी खेल को एक करियर की तरह देखना काफी कठिन होता है। लड़कियों को कई तरह की पाबंदियों और जिम्मेदारियों का सामना करना पड़ता है। हां यह जरूर है कि पहले की तुलना में आज लड़कियों को खेलों में ज्यादा मौके मिल रहे हैं। लेकिन जब मैंने खेलों में अपना करियर शुरू किया था, तो उस दौर में लड़कियों के लिए खेल की राह काफी कठिनाई भरी होती थी।

देश के लिए क्रिकेट विश्व कप खेलने का सपना कब और कैसे हुआ पूरा?

यह आज से 21 साल पहले की बात है। वर्ष 2000 में मुझे क्रिकेट कोच सुमिता जी के साथ विश्व कप खेलने जा रही महिला टीम के साथ एक प्रैक्टिस मैच खेलने का मौका मिला था। इस मैच के बाद मेरे मन में भी देश के लिए विश्व कप खेलने की इच्छा हुई। मेरा यह सपना उसके पांच साल बाद तब पूरा हुआ, जब 2005 में साउथ अफ्रीका में आयोजित विश्व कप खेलने जारी महिला क्रिकेट टीम में मुझे टीम चुन गया। उस विश्व कप में मैं दूसरी सबसे ज्यादा विकेट लेने वाली खिलाड़ी भी बनी थी। यह मेरे लिए बहुत बड़े गौरव की बात थी।
भारत के लिए 116 एक दिवसीय, 41 टी-20 और पाँच टेस्ट मैच खेलकर अमिता शर्मा ने यह साबित कर दिया कि एक लड़की हज़ार पाबंदियों और समाज के तानों के बावजूद अपने सपने पूरे करने के साथ-साथ देश का नाम भी पूरी दुनिया में रोशन कर सकती है। अमिता शर्मा यकीनन कई युवा खिलाड़ियो के लिए एक प्रेरणास्रोत हैं।
(यह लेख भारतीय महिला क्रिकेट टीम की पूर्व खिलाड़ी अमिता शर्मा के द्वारा बेनेट स्पोर्ट्स को दिए गए इंटरव्यूह का एक अंश है। इसे हिन्दी पत्रकारिता के छात्र माधव शर्मा ने लिखा है।)
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