बेनेट से जुड़ी हैं ज़िंदगी की सबसे अनमोल यादें
- माधव शर्मा
'बेनेट यूनिवर्सिटी में बतौर छात्र बिताए गए साल अब हमारी ज़िंदगी की सबसे अनमोल यादों का हिस्सा हैं।' यह कहना है बेनेट के कुछ उन पूर्व छात्रों (alumni scholars) का, जिन्होंने हाल में विश्वविद्यालय में आयोजित टॉक शो #BeYouWithBU में हिस्सा लिया। इस टॉक शो का आयोजन बेनेट की स्टूडेंट काउंसिल ने 27 फरवरी 2021 को किया। इसमें खास तौर से जपना बत्रा, सोनाली दत्ता और नंदना वार्ष्णेय अपने अनुभव साझा किए। उल्लेखनीय है कि जपना बेनेट में BBA के पहले बैच की छात्रा रही हैं, जो अब आगे की पढाई के लिए कनाडा जा रही हैं। नंदना वार्ष्णेय B.Tech. के 2020 के बैच की छात्रा थीं और फिलहाल XLRI यूनिवर्सिटी, जमशेदपुर से MBA कर रही हैं। तीसरी छात्रा थीं सोनाली दत्त। सोनाली बेनेट में MBA की स्टूडेंट थीं और वर्तमान में KPMG- global services में कार्य कर रही हैं। इस टॉक शो को एल्यूमनाई रिलेशंस की हेड अवनि डागा ने संचालित किया और कई मौजूदा छात्रों ने इसे लाइव देखा।
घर छोड़ कर हॉस्टल में रहना कठिन था:जपना
जपना के अनुसार बेनेट आने से पहले वह कभी घर से अलग नहीं रहीं थीं। जब वह BBA करने बेनेट आईं तो उनके लिए परिवार के बिना हॉस्टल में रहना बेहद चुनौतीपूर्ण भरा रहा था। लेकिन बेनेट के अध्यापकों और यहां बने उनके नए दोस्तों ने उन्हें कभी अकेला महसूस नहीं होने दिया। जपना कहती हैं, ‘’जब भी मुझे पढ़ाई या निजी ज़िंदगी से जुड़ी कोई बात परेशान करती थी, तो मुझे इसमें अपने अध्यापकों से काफी मदद मिलती थी। इन बातों के लिए मेरे अध्यापकों के कैबिन का दरवाज़ा हमेशा खुला रहता था।’’ इस वजह से कुछ दिनों के भीतर जपना बेनेट की ज़िंदगी को लेकर काफी सहज हो गई थीं। हालांकि जपना के अनुसार बेनेट में उनका सफ़र एक रोलर कोस्टर की तरह रहा। यहां उन्हें कई तरह के उतार-चढ़ाव का सामना करना पड़ा। जपना के मुताबिक, वह एक ऐसी स्टूडेंट थीं जो पढ़ाई के साथ-साथ कॉलेज के विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रमों में हिस्सा लिया करती थीं। उनके दोस्तों के अनुसार, बेनेट का तकरीबन हर प्रोग्राम जपना के बिना अधूरा सा लगता था। बेनेट में बिताए ऐसे ही लम्हे जपना अब बेहद याद आते हैं।
बेनेट के इवेंट ने दिया इंटरव्यू का हौसलाःसोनाली
बेनेट में अपना अनुभव बताते हुए सोनाली बताती हैं कि क्यों वहKPMGमें इंटरव्यू देने के लिए तैयार नहीं थीं। वजह यह थी कि उससे ठीक एक दिन पहले उन्हें बेनेट का एक इवेंट अटेंड करना था। लेकिन सोनाली का मानना है कि उस इवेंट को अटेंड करने से उन्हें काफी हौसला मिला जिसके आधार पर वह इंटरव्यू में अच्छा प्रदर्शन कर पाईं। सोनाली बताती हैं कि बेनेट में बिताए गए दो साल बेहद यादगार रहे। उनके मुताबिक, बेनेट में हर नया दिन बेहद उत्सुकता से भरा हुआ करता था। उन्होंने बताया कि बेनेट की कभी ना खत्म होने वाली पार्टियां, सुबह-सुबह कैंटीन में ब्रेकफास्ट करने के बाद क्लास के लिए भागना और बेनेट में होने वाले कार्यक्रमों में हिस्सा लेना एक ऐसा अनुभव रहा, जिसे वह कभी नहीं भूल पाएंगी। सोनाली एक प्रेरक कहानी का संदर्भ देते हुए कहती हैं कि हर किसी को अपना हर एक दिन ऐसे जीना चाहिए, जैसे वह ज़िंदगी का आखिरी दिन हो।
छात्रों-अध्यापकों के बीच कोई दीवार नहीं हैःनंदना
नंदना कई उम्मीदों के साथ बेनेट यूनिवर्सिटी में आई थीं और उनके अनुसार बेनेट विश्वविद्यालय उन सभी उम्मीदों पर खरा उतरा है। नंदना कहती हैं कि पहले दिन से ही यूनिवर्सिटी कई तरह के अवसर मिलने लग जाते हैं। नंदना ने बेनेट की खेल सुविधाओं की काफी सराहना की। उन्होंने कहा कि वह अक्सर शाम 6 बजे तक पढ़ाई और उसके बाद यूनिवर्सिटी में आयोजित होने वाले कार्यक्रमो को प्राथमिकता देती थीं। बेनेट में अध्यपकों के साथ जुड़ाव और उनके साथ मिलकर कई सवालों और मुश्किलों का हल निकालना नंदना के लिए एक बेहद अच्छा अनुभव रहा है। नंदना कहती हैं, ‘’अगर हमें अपनी किसी भी योजना को पूरा करने के लिए बेनेट के अध्यापकों की सलाह और यूनिवर्सिटी से किसी मदद की ज़रूरत होती थी तो इस मामले में हमें बेनेट का सहयोग मिलता था’’। नंदना बताती हैं कि बेनेट में देश के अलग-अलग कोनों से छात्र आते हैं, जिस कारण से विभिन्न संस्कृतियों के युवाओं से मिलने-जुलने औ उन्हें दोस्त बनाने में काफी मज़ा आता है। नंदना के मुताबिक बेनेट के सफ़र में उन्होंने कई दोस्त बताए, विभिन्न कार्यक्रमों में हिस्सा लिया और कॉलेज़ की जिंदगी को भरपूर जीया।
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घर छोड़ कर हॉस्टल में रहना कठिन था:जपना
जपना के अनुसार बेनेट आने से पहले वह कभी घर से अलग नहीं रहीं थीं। जब वह BBA करने बेनेट आईं तो उनके लिए परिवार के बिना हॉस्टल में रहना बेहद चुनौतीपूर्ण भरा रहा था। लेकिन बेनेट के अध्यापकों और यहां बने उनके नए दोस्तों ने उन्हें कभी अकेला महसूस नहीं होने दिया। जपना कहती हैं, ‘’जब भी मुझे पढ़ाई या निजी ज़िंदगी से जुड़ी कोई बात परेशान करती थी, तो मुझे इसमें अपने अध्यापकों से काफी मदद मिलती थी। इन बातों के लिए मेरे अध्यापकों के कैबिन का दरवाज़ा हमेशा खुला रहता था।’’ इस वजह से कुछ दिनों के भीतर जपना बेनेट की ज़िंदगी को लेकर काफी सहज हो गई थीं। हालांकि जपना के अनुसार बेनेट में उनका सफ़र एक रोलर कोस्टर की तरह रहा। यहां उन्हें कई तरह के उतार-चढ़ाव का सामना करना पड़ा। जपना के मुताबिक, वह एक ऐसी स्टूडेंट थीं जो पढ़ाई के साथ-साथ कॉलेज के विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रमों में हिस्सा लिया करती थीं। उनके दोस्तों के अनुसार, बेनेट का तकरीबन हर प्रोग्राम जपना के बिना अधूरा सा लगता था। बेनेट में बिताए ऐसे ही लम्हे जपना अब बेहद याद आते हैं।
बेनेट के इवेंट ने दिया इंटरव्यू का हौसलाःसोनाली
बेनेट में अपना अनुभव बताते हुए सोनाली बताती हैं कि क्यों वहKPMGमें इंटरव्यू देने के लिए तैयार नहीं थीं। वजह यह थी कि उससे ठीक एक दिन पहले उन्हें बेनेट का एक इवेंट अटेंड करना था। लेकिन सोनाली का मानना है कि उस इवेंट को अटेंड करने से उन्हें काफी हौसला मिला जिसके आधार पर वह इंटरव्यू में अच्छा प्रदर्शन कर पाईं। सोनाली बताती हैं कि बेनेट में बिताए गए दो साल बेहद यादगार रहे। उनके मुताबिक, बेनेट में हर नया दिन बेहद उत्सुकता से भरा हुआ करता था। उन्होंने बताया कि बेनेट की कभी ना खत्म होने वाली पार्टियां, सुबह-सुबह कैंटीन में ब्रेकफास्ट करने के बाद क्लास के लिए भागना और बेनेट में होने वाले कार्यक्रमों में हिस्सा लेना एक ऐसा अनुभव रहा, जिसे वह कभी नहीं भूल पाएंगी। सोनाली एक प्रेरक कहानी का संदर्भ देते हुए कहती हैं कि हर किसी को अपना हर एक दिन ऐसे जीना चाहिए, जैसे वह ज़िंदगी का आखिरी दिन हो।
छात्रों-अध्यापकों के बीच कोई दीवार नहीं हैःनंदना
नंदना कई उम्मीदों के साथ बेनेट यूनिवर्सिटी में आई थीं और उनके अनुसार बेनेट विश्वविद्यालय उन सभी उम्मीदों पर खरा उतरा है। नंदना कहती हैं कि पहले दिन से ही यूनिवर्सिटी कई तरह के अवसर मिलने लग जाते हैं। नंदना ने बेनेट की खेल सुविधाओं की काफी सराहना की। उन्होंने कहा कि वह अक्सर शाम 6 बजे तक पढ़ाई और उसके बाद यूनिवर्सिटी में आयोजित होने वाले कार्यक्रमो को प्राथमिकता देती थीं। बेनेट में अध्यपकों के साथ जुड़ाव और उनके साथ मिलकर कई सवालों और मुश्किलों का हल निकालना नंदना के लिए एक बेहद अच्छा अनुभव रहा है। नंदना कहती हैं, ‘’अगर हमें अपनी किसी भी योजना को पूरा करने के लिए बेनेट के अध्यापकों की सलाह और यूनिवर्सिटी से किसी मदद की ज़रूरत होती थी तो इस मामले में हमें बेनेट का सहयोग मिलता था’’। नंदना बताती हैं कि बेनेट में देश के अलग-अलग कोनों से छात्र आते हैं, जिस कारण से विभिन्न संस्कृतियों के युवाओं से मिलने-जुलने औ उन्हें दोस्त बनाने में काफी मज़ा आता है। नंदना के मुताबिक बेनेट के सफ़र में उन्होंने कई दोस्त बताए, विभिन्न कार्यक्रमों में हिस्सा लिया और कॉलेज़ की जिंदगी को भरपूर जीया।
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