बेनेट के छात्रों ने सीखे डॉक्युमेंट्री बनाने के गुर

बेनेट के छात्रों ने सीखे डॉक्युमेंट्री बनाने के गुर
-माधव शर्मा
‘डॉक्युमेंट्री (वृत्तचित्र ) बनाना एक कला है, इसमें महारत हासिल करने के लिए वक्त, मेहनत और क्रिएटिविटी की जरूरत होती है।’ यह एक ऐसा सबक है जिसके बारे में बेनेट में छात्रों को डॉक्युमेंट्री और फिल्ममेकिंग वर्कशॉप दौरान सीखने को मिला। डॉक्युमेंट्री बनाना सीखने को लेकर छात्र काफी उत्साहित थे। नौ अप्रैल को आयोजित इस वर्कशॉप में गेस्ट के रूप में समर्थ महाजन और नुपुर अग्रवाल शामिल हुए। दोनों ने ही छात्रों के साथ अपने अनुभव साझा किए।

गंवाए नहीं हाथ में आया मौका

‘मौके बार बार नहीं आते (Opportunity comes once in life)’’- नुपुर महाजन इस मुहावरे का एक बेहतरीन उदाहरण हैं। नुपुर बताती है कि जब वह भारत भ्रमण कर रही थीं तो डॉक्युमेंट्री बनाने का उनकी कोई योजना नहीं थी। लेकिन एक बार जब उनके दिमाग में इसका विचार आया, तो बिना देर किए अपने कुछ दोस्तों के साथ मिलकर उन्होंने इस पर काम करना शुरू कर दिया। नुपुर ने बाताया कि डॉक्युमेंट्री बनाने के मकसद से भारत भ्रमण करते हुए उन्होंने हर दिन बहुत किफायत से काम चलाया और हर दिन सिर्फ 300 रुपये खर्च किए।

रेल यात्रा पर मिला नेशनल अवॉर्ड


इंजीनियरिंग छोड़कर डॉक्युमेंट्री मेकिंग में नेशनल अवॉर्ड विनर बनने तक के अपने सफर के बारे में बताते हुए समर्थ महाजन ने कहा कि अगर लोग उन सामाजिक समस्याओं पर डॉक्युमेंट्री बनाएं, जिन्हें वे खुद महसूस करते हैं तो यह ज्यादा सार्थ होगा। इस तरह हम अपने दर्शकों से अधिक जुड़ सकेंगे। समर्थ ने बताया कि इसी सोच के उन्होंने ट्रेन से सफर पर एक डॉक्युमेंट्री बनाई, जिसके लिए उन्हें नेशनल अवॉर्ड भी मिला।

छात्रों में दिखी गजब की उत्सुकता

वर्कशॉप के दौरान छात्रों को डॉक्युमेंट्री बनाने की कला सिखाने के लिए कुछ बेहतरीन डॉक्युमेंट्री दिखाई गईं। इनमें वोटर फॉर मी, जैसी उल्लेखनीय डॉक्युमेंट्री का नाम उल्लेखनीय है।

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