आइवार्ट फिल्म फेस्ट के दुसरे दिन में महिलाओं और बच्चों की मीडिया के क्षेत्र में योगदान को लेकर चर्चा

आइवार्ट फिल्म फेस्ट के दुसरे दिन  में महिलाओं और बच्चों की मीडिया के क्षेत्र में योगदान को लेकर चर्चा
Roundtable Conference at IAWRT film festival. Photo by Nikita Singh.
संकल्प गुप्ता
आइवार्ट फिल्म फेस्ट में, कई एशियाई महिला-फिल्म मेकरों द्वारा बनायी और स्क्रीन की गयी फिल्मों ने सबका ध्यान अपनी ओर खींचा, तो वहीँ दूसरी तरफ एक राउंड टेबल कांफ्रेंस का आयोजन किया गया|

जिसका उद्देश्य मीडिया और फिल्मों के क्षेत्र में महिलाओं और चाइल्ड-आर्टिस्टों के योगदान और उनके जीवन के संघर्ष के बारे में चर्चा करना रहा|

इस कांफ्रेंस में कई महिला फिल्म-मेकर्स और महिला पत्रकारों ने शिरकत करी| जहां पत्रकारिता और फिल्म-मेकिंग के क्षेत्र में महिलाओं और बाल-कलाकारों के संघर्षों के बारे में चर्चा की गयी|

ऑफिस नहीं, अब फील्ड वर्क है महिलाओं की नयी प्रात्मिकता

कांफ्रेंस में, पत्रकारिता में महिलाओं की ऑफिस वर्क से रुचि ख़तम होने को लेकर चर्चा हुई तो सामने आया कि, अब महिलाओं को एक बंद ऑफिस से ज्यादा फील्ड वर्क में कार्य करने में ज्यादा अच्छा लगता है|

यह बदलाव हुआ है, बदलती सोच के कारण, जहाँ पहले सिर्फ पुरुषों को ही फील्ड वर्क में भेजा जाता था, वहीँ अब इसमें ज़्यादातर महिलाएं नज़र आती हैं|



सिर्फ स्टार किड्स ही नहीं, बल्कि जो किड्स स्टार बनते हैं उनपर भी होता है दबाव

यह पूरे कांफ्रेंस का सबसे चर्चित विषय रहा, जिसमें इस विषय पर चर्चा की गयी कि कैसे आज-कल की सोशल मीडिया की दुनिया में, बाल-कलाकारों या छोटी उम्र में फिल्मों से जुड़े कलाकारों पर भी अपने-आप को दुनिया के सामने हमेशा साबित करने के लिए,

कैसे यह बाल-कलाकार एक दिन में किसी भी लिस्ट-A कलाकार से भी ज्यादा घंटों तक काम करते रहते हैं, और फिर खुदको सोशल मीडिया पर भी एक्टिव रखते हैं|

इसी विषय पर चर्चा करते हुए कांफ्रेंस में मौजूद महिला फिल्म-मेकर्स ने कहा कि, इस विषय पर हर फिल्म-निर्माता और खुद कलाकार के घरवालों को यह सु-निश्चित करना चाहिए कि, किसी भी बाल-कलाकार से ज़रुरत से ज्यादा काम न करवाया जाए|



महिलाओं का रहा फिल्म-फेस्ट पर दबदबा

जिस तरह फेस्ट का नाम, “एशियन विमेंस फिल्म फेस्ट”ही यह बताने के लिए काफी रहा कि, फेस्ट एशिया में मौजूद महिला फिल्म निर्माताओं को समर्पित था, जहां महिलाओं द्वारा निर्मित फिल्मों को दर्शाया गया|

इन फिल्मों की कहानी में इतना दम था कि स्क्रीनिंग में उपस्थित सभी लोगों को इन फिल्मों ने यह सोचने पर मजबूर कर दिया कि, ‘अगर हम अब भी नहीं बदले, तो धरती की स्तिथि क्या इतनी भयावह होगी’?

फिल्म फेस्ट के ज़रिये में देश-विदेश से महिलाओं का फिल्म के क्षेत्र में आगे बढाने को लेकर प्रोत्साहन देता है| वैसे भी कुछ ही दिन पहले भारत की एक डाक्यूमेंट्री फिल्म “दी एलीफैंट व्हिस्पर्स”, जिसे ऑस्कर से सम्मानित किया गया है, उसकी निर्माता भी महिलाएं ही हैं|

तो यह कहा जा सकता है कि, इस प्रकार के फेस्ट ही आगे आने वाले कल की इक मज़बूत बुनियाद को तैयार कर रहे हैं और साथ ही यह मंच प्रदान कर उन सभी महिलाओं को अपनी कला दर्शाने का एक अवसर दे रहे हैं|

Recent Messages ()

Please rate before posting your Review

X
Sort By:
Be the first one to review.
We have sent you a verification email. To verify, just follow the link in the message