आइवार्ट फिल्म फेस्ट के आखरी दिन क्लाइमेट चेंज पर हुई चर्चा
संकल्प गुप्ता
आइवार्ट एशियन विमेंस फिल्म फेस्टिवल के तीसरे और आखरी दिन, क्लाइमेट चेंज (किसी जगह के औसत मौसम में बदलाव) सबसे बड़ा मुद्दा रहा|
क्लाइमेट चेंज को लेकर आइवार्ट ने मार्च के महीने में एक वर्कशॉप का आयोजन करवाया था, जिसका उद्देश्य था कि, कैसे हम फिल्मों के माध्यम से पर्यावरण में हो रहे नकारात्मक बदलावों के खिलाफ लोगों को जागरूक कर सकते हैं|
प्रतिभागियों द्वारा बनाई गयी फिल्मों ने सभी को चौकाया..
फिल्म फेस्टिवल में , आइवार्ट द्वारा आयोजित क्लाइमेट चेंज वर्कशॉप के अंतर्गत बनी फिल्मों की भी स्क्रीनिंग की गयी|
वर्कशॉप के प्रतिभागियों द्वारा बनाई गयी इन फिल्मों को देख हॉल में उपस्थित सभी लोग दंग रह गए, क्यूंकि इन फिल्मों के ज़रिये, इंसानी गतिविधियों की वजह से पर्यावरण को हो रहे नुक्सान के बारे में ऐसी जानकारियाँ मौजूद थी, जिन्हें शायद हम अपनी रोज़-मर्रा की ज़िन्दगी में देखकर भी अनदेखा कर देते हैं|
वहाँ हॉल में उपस्थित सभी दर्शकों ने, उन शोर्ट-फिल्मों और उन्हें निर्मित करने वाले निर्माताओं (प्रतिभागियों) की जमकर सराहना की|
फिल्म फेस्ट में क्लाइमेट चेंज का मुद्दा उठना, एक अनोखी बात
फिल्मों से जुडे इस फेस्ट में एक बात जो गौर करने वाली रही, वो थी कि, ‘ एक फिल्म फेस्टिवल में क्लाइमेट चेंज का मुद्दा उठाया जाना अपने-आप में ही एक अनोखी पहल रही|
जहां फिल्मों के माध्यम से ही यह दर्शाया गया कि कैसे हम इंसान, सिर्फ अपनी ज़रूरतों के हिसाब से चीज़ों को इस्तेमाल कर रहे हैं और कैसे यह हमारे लिए ही खतरनाक साबित हो सकता है|
यादगार रहा यह फ़िल्मी सफ़र
आइवार्ट फिल्म फेस्टिवल का यह सफ़र मेरे लिए बड़ा यादगार रहा| जहां मैंने फिल्मों को समाज को बदलने के एक ताकतवर आईने के रूप में देखा| फेस्ट के दौरान मुझे कई महिला फिल्म-मेकर्स से भी मिलने का मौका मिला और मैं यह समझ पाया कि, कई बार जब हमें किसी को कुछ समझाना होता है, तो भाषा बींच में रुकावट का नहीं, बल्कि माध्यम का काम करती हैं|
Bennett University’s Times School of Media is a key partner in the 18thIAWRT Asian Film Festival. Its students are playing an important role as volunteers and rapporteurs.
आइवार्ट एशियन विमेंस फिल्म फेस्टिवल के तीसरे और आखरी दिन, क्लाइमेट चेंज (किसी जगह के औसत मौसम में बदलाव) सबसे बड़ा मुद्दा रहा|
क्लाइमेट चेंज को लेकर आइवार्ट ने मार्च के महीने में एक वर्कशॉप का आयोजन करवाया था, जिसका उद्देश्य था कि, कैसे हम फिल्मों के माध्यम से पर्यावरण में हो रहे नकारात्मक बदलावों के खिलाफ लोगों को जागरूक कर सकते हैं|
प्रतिभागियों द्वारा बनाई गयी फिल्मों ने सभी को चौकाया..
फिल्म फेस्टिवल में , आइवार्ट द्वारा आयोजित क्लाइमेट चेंज वर्कशॉप के अंतर्गत बनी फिल्मों की भी स्क्रीनिंग की गयी|
वर्कशॉप के प्रतिभागियों द्वारा बनाई गयी इन फिल्मों को देख हॉल में उपस्थित सभी लोग दंग रह गए, क्यूंकि इन फिल्मों के ज़रिये, इंसानी गतिविधियों की वजह से पर्यावरण को हो रहे नुक्सान के बारे में ऐसी जानकारियाँ मौजूद थी, जिन्हें शायद हम अपनी रोज़-मर्रा की ज़िन्दगी में देखकर भी अनदेखा कर देते हैं|
वहाँ हॉल में उपस्थित सभी दर्शकों ने, उन शोर्ट-फिल्मों और उन्हें निर्मित करने वाले निर्माताओं (प्रतिभागियों) की जमकर सराहना की|
फिल्म फेस्ट में क्लाइमेट चेंज का मुद्दा उठना, एक अनोखी बात
फिल्मों से जुडे इस फेस्ट में एक बात जो गौर करने वाली रही, वो थी कि, ‘ एक फिल्म फेस्टिवल में क्लाइमेट चेंज का मुद्दा उठाया जाना अपने-आप में ही एक अनोखी पहल रही|
जहां फिल्मों के माध्यम से ही यह दर्शाया गया कि कैसे हम इंसान, सिर्फ अपनी ज़रूरतों के हिसाब से चीज़ों को इस्तेमाल कर रहे हैं और कैसे यह हमारे लिए ही खतरनाक साबित हो सकता है|
यादगार रहा यह फ़िल्मी सफ़र
आइवार्ट फिल्म फेस्टिवल का यह सफ़र मेरे लिए बड़ा यादगार रहा| जहां मैंने फिल्मों को समाज को बदलने के एक ताकतवर आईने के रूप में देखा| फेस्ट के दौरान मुझे कई महिला फिल्म-मेकर्स से भी मिलने का मौका मिला और मैं यह समझ पाया कि, कई बार जब हमें किसी को कुछ समझाना होता है, तो भाषा बींच में रुकावट का नहीं, बल्कि माध्यम का काम करती हैं|
Bennett University’s Times School of Media is a key partner in the 18th
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