हम हो गए कामयाब एक दिन
Times of Bennett | Updated: Apr 03, 2023 21:08


लेखक – रश्मि कुमारी
हम जीत गए। सूजी आंखें ,थका दिमाग , थका शरीर लेकर हम जीत गए और सेकंड या थर्ड पोजिशन नहीं पहली पोजिशन आई है हमारी । ये सूजी आंखों का रहस्य आगे आने वाली पंक्तियों में खुलेगा ।
ये हम है कौन?
हम हैं एनएसएस बीयू , हम अपना पर्चम आईआईटी दिल्ली में लहरा कर आए हैं। मुझे पता है, आपलोगों विश्वास ही नहीं हो रहा होगा । मुझे भी नहीं हो रहा और मेरी टीम भी शायद अभी तक जीत के जश्न से बाहर नहीं आई होगी । और जश्न मनाएं भी क्यों ना , ये एनएसएस बीयू की पहली जीत है । और इस जीत तक की यात्रा काफी रोचक रही।
ऐसी स्पर्धा जिसका नाम हमने पहली बार सुना
तो चलिए आपको फ्लैशबैक में ले चलते हैं। शुरुआत करते हैं उस दिन से जब हम आईआईटी दिल्ली के इवेंट काइजेन के लिए पंजीकरण कर रहे थे। काफी शोर मचा हुआ था उस दिन एनएनएस के कमरे में हम सारे यही निर्णय कर रहे थे कि किस किस इवेंट में भाग लिया जाए , और फिर हमने निर्णय किया कि हमारी एक टीम satirical स्पर्धा में भाग लेगी । और हमारी टीम में कुल लोग आठ थे।
क्या है ये स्पर्धा
अब ये satirical स्पर्धा क्या है? ये एक ऐसी स्पर्धा है जिसमें सभी प्रतिभागियों को कुछ मिनट के लिए उनके लिखे हुए गानों पर एक एक्ट की प्रस्तुति करनी होती है। और कोशिश ये की जाती है की उन्होंने जो गाना लिखा है वो किसी सामाजिक मुद्दे पर लिखा हो जिसकी जानकारी होना लोगों के लिए अतिआवश्यक है ।
अब ये तो आपको पता चल गया कि ये स्पर्धा होती क्या है ।
अब हम आपको ये बताते की इस स्पर्धा के लिए हमने क्या तैयारी की थी । सबसे पहली गलती जो हमने की वो थी की हमें इस स्पर्धा का मतलब ही नहीं पता था और हम किसी अलग ही चीज़ की तैयारी करने लगे थे और बचे थे गिनती के कुछ दिन। आयोजन से 4 दिन पहले हमे पता चला कि हमें वहां जाकर आखिर करना क्या है।
गाने के बोल लिखना था सबसे मुश्किल
हमने सबसे पहले एक गाना चुना जो था ओम शांति ओम का दास्तान ए ओम शांति ओम।मुझे इस बात का पूरा यकीन है की आप सब लोगों को इस गाने की लोकप्रियता का अंदाज़ा होगा । और तो और हमने अपने फ़ौलादी जिगर से इस गाने के बोल बदल दिए । अरे यार, करना पड़ा क्योंकि हमने जो विषय चुना था उसके लिए इस गाने की धुन सटीक थी । गाने के बोल बदले गए लेकिन कहानी यहां खतम नहीं हो जाती , हमारे पास आगे एक चुनौती थी की अब इसे गाएगा कौन? क्योंकि हम सारे ही बेसुरे हैं। दिल पे पत्थर रख के हमने गायकों का चयन किया ।
हमने सोचा की हम पहले इसे स्टूडियो में रिकॉर्ड करते हैं। हम वहां गए हमने रिकॉर्ड भी किया पर वो हमारे किसी काम का नहीं रहा क्योंकि जो हमने गाया वो बिल्कुल भी सराहनीय नहीं था । पर आखिरकार हमें इस चुनौती में जीत मिली और हमारा गाना रिकॉर्ड हो गया ।
एक्ट को सटीक बनाना कड़ी चुनौती
अब आगे एक पड़ाव था की इस गाने पे हम हमारे विषय को दर्शाएंगे कैसे? अरे हां , ये तो आपको बताना ही भूल गई , हमारा विषय था भ्रष्टाचार। और बचे थे हमारे पास दो दिन । और हमें हमारी प्रस्तुति के लिए समय सीमा पाँच मिनट दी गई थी । यह समय सीमा सुनने में जितनी छोटी लगती है इसकी तैयारी उतनी ही मुश्किल होती है । हमने ये सोचा की दो लोग गाएंगे और बाकी के कलाकार एक्ट करेंगे । हमें इस बात का भी ध्यान रखना था की हमारे गाने के हर बोल से हमारी प्रस्तुति मिलती जुलती हो ताकि जनता और जजेस को समझने में दिक्कत ना हो ।
कम समय के बावजूद तैयारीमुकम्मल
इवेंट से एक रात पहले हमने अपना एक्ट शुरू किया । एक रात पहले से मेरा मतलब है रात के 12 बजे से । और अगर टेक्निकली देखें तो हमनें अपनी पूरी तयारी उस दिन की जिस दिन हमें अपना पूरा विषय आई आई टी दिल्ली में दर्शाना था। वो होते हैं ना कुछ विद्यार्थी जो एक परीक्षा से एक रात पहले पूरी किताब लेकर बैठते हैं और तब भी परीक्षा में अव्वल आते है। हम भी उन्हीं विद्यार्थियों की तरह थे । हमनें छः घंटे की तैयारी में 4 घंटे का लगातार ब्रेक लिया । हमें उम्मीद नहीं थी कि हम अपना पूरा गाना खतम कर पाएंगे पर आखिर के दो घंटों में हमने पूरी तैयारी कर ली और निकल पड़े आई आई टी के लिए ।
तालियों की गड़गड़ाहट ने बढ़ाया मनोबल
वहां पहुंच कर जब स्पर्धा शुरू हुई तो हमने देखा की बाकी विश्वविद्यालयों के प्रतिभागी तो कुछ अलग ही पेश कर रहे है। हम अपनी उम्मीद वहीं खो दी की अब तो हम जीतने से रहे पर फिर भी जज्बे के साथ रंगमंच पर गए और अपना एक्ट दिखाया । ताज्जुब की बात ये थी कि हमने वहां की जनता से तालियां भी बटोर ली। सबने हमे बहुत सराहा । ऐसा मेहसूस हुआ की हां कुछ ऐसा किया है हमने जो बाकियों से अलग था ।
उम्मीद थी परडर भी था
और जब फैसले की घड़ी आई हम सबके दिल ज़ोर ज़ोर से धड़कने लगे। जैसे ही उन्होंने प्रतिभागियों को बुलाना शुरू किया इनाम देने के लिए हमारी उम्मीद बढ़ती जा रही थी । और जब उन्होंने कहा कि पहली पोजिशन जाती हैएनएसएस बीयू को , हमारे पैरों तले ज़मीन खिसक गई।उसके बाद हम सारे भाग कर स्टेज पर गए और अपनी इनाम स्वीकार किया।
इस दिन की याद हमेशा मेरे लिए एक सुहानी याद बन कर रहेगी , एक ऐसी याद जिसे भूल पाना मेरे लिए काफी मुश्किल होगा । और यदि हम ना भी जीते होते तो ये यादें वो यादें जो हमने अपनी तैयारी के वक्त संजोए है। ये यादें हैं हमारे झगड़ों की हमारे मनोरंजन की और हमारी पूरी टीम के सहयोग की ।
इसी तर्ज पे आपसे विदा लेती हूं । यह ब्लॉग इतने ध्यान से पढ़ने के लिए आपका धन्यवाद