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"कुछ पल बैठना चाहिए बुजुर्गों के पास ,हर चीज़ गूगल पर नहीं मिलती"

Times of Bennett | Updated: Apr 24, 2023 18:26
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लेखक - नैवेद्य पुरोहित

कहते है कि दुनिया का सबसे फायदेमंद सौदा होता है बुजुर्गों के पास बैठना, चंद लम्हों के बदले वो आपकों बरसों का तजुर्बा देते हैं। इस बात को ध्यान में रखते हुए बेनेट यूनिवर्सिटी की एनएसएस इकाई शनिवार 22 अप्रैल को नोएडा के सेक्टर 105 स्थित 'आँगन Elderly Home' में सेवा करने गई।
वृद्धाश्रम शब्द सुनके मन में एक टीस पैदा होती है कि संसार में ऐसी जगह क्यों है ? जिस अवस्था में माता पिता को अपने बच्चों की सबसे ज्यादा ज़रूरत होती है ऐसे में उन्हें अकेला छोड़ दिया जाता है। मां बाप के कर्ज़ को बच्चे कभी उतार नहीं सकते वे आजीवन ऋणी होते है अपने मां बाप के यह सभी बातों का भान होने के बावजूद आज भी कई बच्चें अपने माता पिता को वृद्धाश्रम छोड़ आते है और वे बेबस माता पिताओं को अपने बच्चों से दूर अपनी ज़िंदगी वृद्धाश्रम में गुज़ारनी पड़ती है।

खैर , कल मेरा दूसरी बार वृद्धाश्रम जाना हुआ। पहली बार लगभग 2 महीने पहले जब वृद्धाश्रम गया था तो सन्न रह गया था उन सभी की दर्दभरी कहानी जानकर और उनसे वादा करके आया था कि आपका यह बालक आप लोगों से मिलने आते रहेगा। अब कल जब वापिस 2 महीने बाद वहां जाना हुआ तो हम लोगों को देखकर उन सभी के चेहरे पर एक खुशी आ गई थी। नोएडा के सेक्टर 105 में स्थित 'आँगन Elderly Home' है जो कि किडिज फाउंडेशन द्वारा संचालित किया जाता है। पहली बार जाने पर भी और कल दूसरी बार भी यह देखने में आया कि वहां 24×7 ऐसे दयालु समर्पित कर्मचारी हैं जो आवश्यकता पड़ने पर सभी सहायता प्रदान करते हैं।आँगन ओल्ड एज होम एनसीआर का एक शीर्ष रेटेड पंजीकृत वृद्धाश्रम है।
वहां जाकर सबसे पहले हम लोगों ने सभी बुजुर्गों के साथ ढेर सारी बातें की उनके मूड को बदला और उन्हें तरोताजा महसूस करवाया। उसके बाद हम लोगों ने मिलके उनके लिए पानी पताशे बनाएं इसके लिए हमने पताशे भी खुद उनके किचन में गर्म तेल में तले , कम मिर्ची का आलू मसाला बनाया , सभी के लिए चाय बनाई , खमण , खांडवी और भी जो नाश्ता हम लेकर गए थे सब उन्हें परोसा उन्हें खिलाया। नाश्ते के बाद हम सब ने उन सभी के साथ अंताक्षरी , दमशरास , पासिंग टू पास खेला एवं सबके साथ खूब नाचें गाएं। पुराने फिल्मी गानों पर थिरके , रेट्रो गाने गुनगुनाएं।
हम सभी को हस्ते खिलखिलाते हुए देख वहां मौजूद एक बुज़ुर्ग आंटी ने कहा "आप लोगों को देख के हमें हमारा बचपन याद आ जाता है" यह कहते वक्त उनकी आंखों में आंसू झलक रहे थे। एक दूसरी आंटी ने अपनी जवानी के किस्से सुनाए कि कैसे वो हर हफ़्ते अमिताभ बच्चन की मूवी फर्स्ट डे फर्स्ट शो देखने जाती थी। एक अंकल हम सभी से लॉजिकल रीजनिंग के क्वेश्चंस पूछ रहे थे। बहुत ही खुशनुमा माहौल में आदरपूर्वक अपनत्व के साथ उन सभी से बातचीत हुई।
जाते वक्त उन्होंने हम सभी ने हमें ढेर सारा स्नेह और आशीर्वाद दिया जो कुछ भी हमें उन्होंने सिखाया उस चीज़ का पूरा ध्यान रखते हुए उन्हें यह कहते हुए अलविदा कहा कि "वापिस जल्द ही मिलेंगे !"


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