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हॉस्टलर बनाम डे स्कॉलर

Times of Bennett | Updated: Apr 02, 2023 17:03
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-हर्ष कोहली

कॉलेज लाइफ एक ऐसी लाइफ होती है जिसमें मस्ती के साथ काफी मुश्किलें भी होती हैं।

कॉलेज में आकर पढ़ाई के साथ साथ हम नए नए दोस्त बना सकते हैं, नए-नए नेचर के लोगों से मिलकर उनके बारे में जान सकते हैं।

कॉलेज में दोस्त बनाने के बाद अगर हम हॉस्टलर हैं तो उनके साथ हम हॉस्टल में पार्टियां करने के साथ असाइनमेंट भी कर सकते हैं। यानि काम के साथ मज़े भी। लेकिन कॉलेज में अगर हम डे स्कॉलर हैं तो लाइफ थोड़ी चेंज हो जाती है।

डे स्कॉलर की लाइफ में थोड़े चैलेंज आते हैं कि सुबह जल्दी उठकर कॉलेज निकलना है तो जल्दी सो जाओ। फिर कॉलेज खत्म होने के बाद जल्दी घर पर पहुंचना है वरना हमारे पेरेंट्स को टेंशन हो जाती है।

एक बात और है कि डे स्कॉलर को लगता है कि हॉस्टलर की लाइफ अच्छी है और हॉस्टलर कहते हैं कि डे स्कॉलर की लाइफ अच्छी है। लेकिन दोनों अपनी जगह अच्छे हैं क्योंकि हॉस्टलर को रात के समय कॉलेज में होने वाली मस्ती वह सारी एंजॉय करने का मौका मिला है और डे स्कॉलर को घर का खाना और पुराने यार दोस्तों के साथ लॉंग ड्राइव पर जाने को मिल सकता है। डे स्कॉलर के ऊपर टाइम लिमिट नहीं होती पर हॉस्टल के ऊपर टाइम लिमिट होती है।

एक बात और है कि हॉस्टलर को कैंपस की सारी बातें पता होती हैं जैसे कौन सा काम कहाँ से, कैसे होना है। डे स्कॉलर को इतनी जानकारी नहीं होती तो वह बार-बर प्रोफेसरों या स्टाफ से पूछते हैं जैसे कि कोई कॉलेज में फेस्ट हो रहा हो तो उसमें अगर पार्टिसिपेट करना हो तो हॉस्टलर को आसानी से पता चल जाता है पर डे स्कॉलर को जानकारी पता लगने में टाइम लगता है।

एक और अंतर यह है हॉस्टलर लाइफ और डे स्कॉलर लाइफ में की डे स्कॉलर स्टूडेंट जो है वह कभी भी कॉलेज से निकल सकता है पर हॉस्टलर स्टूडेंट नहीं निकल सकता हैI