आइवार्ट एशियन विमेंस फिल्म फेस्टिवलमें दिखा फिल्मों के ज़रिये दुनिया बदलने का नया नज़ारा
Times of Bennett | Updated: Mar 18, 2023 00:23

संकल्प गुप्ता
आइवार्ट द्वारा संचालित एशियन विमेंस फिल्म फेस्टिवल के दूसरे दिन की शुरुआत फिल्मों की स्क्रीनिंग से हुई। इसमें एशियाई महिला फिल्म निर्माताओं द्वारा निर्मित कुछ फिल्में दिखाई गईं। इन फिल्मों का फोकस आने वाले कल यानी भविष्य पर है। खास तौर से भविष्य होने वाले आधुनिक बदलावों को इनमें प्रदर्शित किया गया है। |
आइवार्ट द्वारा आयोजित इस फिल्म फेस्टिवल में न फिल्मों की स्क्रीनिंग हो रही है, बल्कि इसमें हिस्सा ले रहे फिल्म-निर्माताओं से सवाल-जवाब का मौका भी कार्यक्रम में भागीदारी करने आए लोगों को मिल रहा है।
मॉडर्न और डरावना है भविष्य
आइवार्ट फिल्म फेस्ट में कई ऐसी फिल्में भी देखने को मिलीं, जिन्होंने यह सोचने पर मजबूर कर दिया कि आने वाला कल आधुनिक होने के साथ-साथ खतरनाक भी हो सकता है। ज्यादातर फिल्मों का अंत इस सलाह के साथ होता है कि ‘अगर हम अभी भी नही रुके तो भविष्य में जिंदगी बद से बदतर हो सकती है’
छात्रों को मिला फिल्मों की दुनिया का नया अनुभव
फिल्म फेस्ट में शामिल होने के लिए दिल्ली-एनसीआर के कई विश्व-विद्यालयों से बहुत से छात्र पहुंचे हैं। इन सभी का मकसद फिल्मों की दुनिया के नए पहलुओं को जानना है। अब तक दिखाई गई फिल्मों के बारे में इन छात्रों की प्रतिक्रियाओं से साफ है कि वे इन फिल्मों के विषयों और प्रस्तुतियों से काफी ज्यादा प्रभावित हैं।
आइवार्ट द्वारा संचालित एशियन विमेंस फिल्म फेस्टिवल के दूसरे दिन की शुरुआत फिल्मों की स्क्रीनिंग से हुई। इसमें एशियाई महिला फिल्म निर्माताओं द्वारा निर्मित कुछ फिल्में दिखाई गईं। इन फिल्मों का फोकस आने वाले कल यानी भविष्य पर है। खास तौर से भविष्य होने वाले आधुनिक बदलावों को इनमें प्रदर्शित किया गया है। |
आइवार्ट द्वारा आयोजित इस फिल्म फेस्टिवल में न फिल्मों की स्क्रीनिंग हो रही है, बल्कि इसमें हिस्सा ले रहे फिल्म-निर्माताओं से सवाल-जवाब का मौका भी कार्यक्रम में भागीदारी करने आए लोगों को मिल रहा है।
मॉडर्न और डरावना है भविष्य
आइवार्ट फिल्म फेस्ट में कई ऐसी फिल्में भी देखने को मिलीं, जिन्होंने यह सोचने पर मजबूर कर दिया कि आने वाला कल आधुनिक होने के साथ-साथ खतरनाक भी हो सकता है। ज्यादातर फिल्मों का अंत इस सलाह के साथ होता है कि ‘अगर हम अभी भी नही रुके तो भविष्य में जिंदगी बद से बदतर हो सकती है’
छात्रों को मिला फिल्मों की दुनिया का नया अनुभव
फिल्म फेस्ट में शामिल होने के लिए दिल्ली-एनसीआर के कई विश्व-विद्यालयों से बहुत से छात्र पहुंचे हैं। इन सभी का मकसद फिल्मों की दुनिया के नए पहलुओं को जानना है। अब तक दिखाई गई फिल्मों के बारे में इन छात्रों की प्रतिक्रियाओं से साफ है कि वे इन फिल्मों के विषयों और प्रस्तुतियों से काफी ज्यादा प्रभावित हैं।